रविवार, 26 सितंबर 2010

हर निगाह करती थी मेरा रेप...


उस दरिन्दे ने तो मेरा एक बार रेप किया लेकिन अब  समाज की हर नजर मेरा रेप करती है.  मै एक जिन्दा लाश बन चुकी हूँ. अगर ये लाश भी आप लोगो को अखर रही हो तो बता दीजिये में इसे भी कही बहा दूँ.

ये शब्द शायद आपको कुछ अटपटे लगे,  मुझे भी लगे थे लेकिन उसके साथ जो हुआ उसके आगे ये शब्द बहोत छोटे है.
हम रेप की ख़बरें हमेशा अखबारों में पढ़ते है. मै भी कई बार इस तरह की घटनाओ के बारे में लिख चुकी हूँ. रेप की खबरें छपती है और दो चार दिनों में लोग भूल जाते है. न तो लोगो को और न ही रिपोटर,  किसी को एक बार ख्याल नहीं आता की वो लड़की आज किस हाल में होगी जो कभी रेप का शिकार होने के बाद न्यूज़ पेपर्स की सुर्खियाँ रही है. यही सोचकर मै तीन साल पहले रेप का शिकार हुई लड़की से मिलने का मन बनाया. मै तीन साल पीछे गई.

मुझे  याद है वो दिन. एक महिला संगठन के साथ वो लड़की आई थी. महिला थाने में. उसके पूरे शारीर पर गहरे घाव थे. उसका शारीर उसके साथ हुई हैवानियत साफ़ बयां कर रहा था. मैंने जब उससे पुछा तो कपकपाती आवाज से उसने जो बताया सच में रूह कंपा देने वाला था. उसने इंटर पास किया था और वो आगे की पढाई नौकरी के साथ करना चाहती थी. क्योकि उसके पापा का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था और मम्मी में घरो में काम करके उसे पढाया था. एक पेपर में add  देखकर वो रावतपुर के रेव थ्री में interview देने पहुची. लेट होने के कारन उसका interview नहीं हो सका. उसकी आँखों में आंसू आ गए. पास खड़े एक लड़के ने उससे रोने का कारण  पूछा  उसने उसे सच बता दिया. उस लड़ने ने उसे वन विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा दिया और से टेम्पो में लेकर वहां से निकला. दुनिया के छल से अनजान वो उसके साथ चल दी. रस्ते में उसकी इच्छाए उड़ान भर रही थी उसने तो यहाँ तक सोच लिया की अब वो अपनी माँ को घरो में काम भी नहीं करने देगी. शाम होने के कारण अँधेरा हो रहा था. वो लड़का उसे गुरुदेव के पास वन विभाग के जंगल में ले गया. वहां उसने उसके दुपट्टे से उसके हाँथ बांध दिए और अपनी रुमाल उसके मुह में ठूंस दी. उसके शारीर को किसी जानवरों की तहर दांतों से काटा. उसका रेप करने के बाद पास पड़े लोहे के तारों से उसका गला कास दिया और वहां से भाग निकला. शायद इश्वर को कुछ और ही मंजूर था इतने के बाद भी वो जिन्दा बच गयी. रात भर वो वही तड़पती रही सुबह जब होश आया तो सँभालने वाला कोई नहीं था. किसी तरह वो वहां से घिसटती हुई सड़क तक आई. एक टेम्पो वाले को उसपर दया आई और वो उसे घर तक छोड़ गया. उसकी माँ पुलिस के पास गयी पुलिस वालो ने उसका मजाक बनाकर उसे वहां से भगा दिया. तब एक महिला संगठन की मदद से मामला दर्ज हुआ. रेव थ्री विडिओ फुटेज से उसने उस दरिन्दे को पहचाना. पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
आज तीन साल से मुकदमा चल रहा है. वो मुस्कुराता चेहरा मुरझा गया है. किसी से मिलना, बात करना और मुस्कुराना तो दूर की बात है, उसकी दुनिया उसका छोटा सा कमरा है. उसने खुद को कमरे में उस रेप की घटना के कारण नहीं बल्कि इस समाज के कारण कैद किया है. वो कहती है की उस दरिन्दे ने मेरा रेप तो एक बार किया लेकिन उसके बाद समाज की हर नजर जो उसे देखती उसका बार बार रेप करती लोग उसे इस तरह देखते जैसे उसने खुद कोई गुनाह किया हो. वो आज खुद को एक जिन्दा लाश मान चुकी है. वो किसी से नहीं मिलना चाहती.  वो कहती है की वो सिर्फ उस दिन का इन्तजार कर रही है जब उसके गुनाहगार को फांसी की सजा दी जाएगी.

7 टिप्‍पणियां:

  1. चित्र और शब्द ह्रदय में चीत्कार भर रहे हैं! सुन्दर लेखन!

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  2. "उसके बाद समाज की हर नजर जो उसे देखती उसका बार बार रेप करती लोग उसे इस तरह देखते जैसे उसने खुद कोई गुनाह किया हो"

    सच्चाई को उजागर करती और हमारी सोच को आयना दिखाती पोस्ट लेकिन "हर नजर" पर प्रश्न चिन्ह लगाना चाहूँगा कहीं न कहीं कोई नजर तो होगी जो उसके दर्द को समझती होगी और उस नजर से नहीं देखती होगी अपवाद स्वरुप आप खुद को ही ले लें.

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  3. Apka yah lekh to hamaree is pooree samajik vyavstha par ,prashasan aur yahan ke sistam par prashn chinh banane vala hai.Apnee kalm kee is dhar ko aise hee painee banaye rakhiye.
    Poonam

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  4. bat to sacchi hai , ese ek nahi hajaro kisse hamare samaj me maujood hai. harfurat to soch baslne ki hai.shabdo ka chunav behtrin..................

    http://baatbatasha.blogspot.com/

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  5. APKA BLOG SAMAJ KO EK AAINA DIKHA RAHA HAI KI DEKHO AUR APNI BETIYO KO BACHANE KI JUGAT LAGAO.APKA NAJARIA BEBAAK HAI.....

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