शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

खतरें में विदेशी मेहमान


ये वो विदेशी मेहमान है वो दूर देश से खाने की तलाश में उत्तर भारत में आते है. हजारो मील लम्बी दूरी तय करके ये तीन से चार महीने उत्तर बहरत में बिताते है. सालो से यूही आ रहे ये विदेशी मेहमान अब सुरक्षित नहीं.
कानपुर के पास नवाबगंज और एलेंफोरेस्ट जू में आने वाले इन मेहमानों पर शिकारियों की नजर है. फोरेस्ट डिपार्टमेंट की अनदेखी से ये बेचारे बेजुबान पक्षी बेमौत मरे जा रहे है. साइबेरिया व मिडिल ईस्ट एशिया में ठण्ड के दिनों में भरी स्नो फाल से इन्हें वहां खाना नहीं मिलता जिक्ति तलाश में ये यहाँ आते है. कानपुर के पास इटावा में इनका शिकार हो रहा है. यही हाल कानपुर का भी है. इन विदेशी मेहमानों की न तो फोरेस्ट डिपार्टमेंट कोई गिनती करता है और न ही कोई सुरखा के इंतजाम. एक तरफ तो पर्यावरण बचने का डंका पीता जाता है वही दूसरी तरफ लाखो की संख्या में आने वाली ये बिर्ड्स असुरक्षित है.

सोमवार, 18 जनवरी 2010



गंगा मैया की सफाई के लिए प्रदेश सरकार ने जन जागरण की शुरुआत कानपुर में सत्रह जनवरी से की। कानपुर में हुए एक भव्य समारोह में नगर विकास मंत्री नकुल दुबे सामिल हुए। लोगो को नजीर पेश कने के लिए उन्होंने गंगा जी में मछलिया छोड़ी। शायद वो इस ख़ुशी में भूल गए की वो क्या कर गए। उन्होंने मछलियों के साथ पोलिथीन भी गंगा मैया में बहा दी। इस दौरान किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की मंत्री जी को रोक सकता जबकि शहर का सारा अद्मिनिस्त्रतिओन मजूद था.

आम आदमी, ख़ास आदमी






भारतीय लोकतंत्र जिसके बड़े बड़े kaside  gadre  जाते है। पूरे विश्व में दावा किया जाता है की यह लोकतंत्र हमारी सुरक्षा के लिए है। लेकिन इस लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने वालो का चेहरा इतना घिनौना हो सकता है। जी हाँ दो जनवरी को कानपुर के पास कापली में हुए ट्रेन हादसे में एक ऐसा ही राजनीती का गन्दा चेहरा सामने आया। प्रयाग राज व गोरखधाम एक्सप्रेस में हुई इस टक्कर में तेरह लोगो की मौत हुई और पचास लोग घायल हुए। इसी प्रयाग राज एक्सप्रेस में भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी भी बैठे थे। घटना की जानकारी होते ही आनन् फानन में उन्हें ट्रेन से उतारकर चंद कदमो की दूरी पर स्थित एक इंजीनियरिंग कॉलेज में ले जाया गया। उन्होंने घटना स्थल तक जाना भी मुनासिब नहीं समझा। इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके नाश्ते के इंतजाम थे। जहाँ एक और चीखें गूँज रही थी वाही नेता जी हंसी के ठहाके लगा रहे थे। आस पास गाँव के लोग तो मदद को आये लेकिन अपने लाबो लश्कर के साथ नेता जी सुरक्षी बैठे रहे। नाश्ते के बाद उन्होंने पूरे कॉलेज का निरिक्षण किया और कॉलेज की एक बिल्डिंग का लोकार्पण भी किया। उन्होंने कॉलेज में लगभग एक घंटा बिताया पर लोगो की चीक पुकार उनके कानो तक नहीं पहुची.

बुधवार, 13 जनवरी 2010


नमस्कार, मैं आपकी शशी अब आपके बीच अपने ब्लॉग के जरिये अपनी बातें पहुचाने की कोशिश करूंगी। वैसे मैं एक पत्रकार हूँ, लेकिन आज के माहोल में कलम खुद आजाद नही रह गयी है, जो आपनी सारी
बातें मैं अखबार में लिख सकू, इसीलिये मैंने अपने ब्लॉग को आपने विचारों को आप तक पहुचाने का जरिया बनाया है,