शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

khanna ji ka ghosla........

परिंदों के लिए बनाते आशियाना........

आशियाने क़ि ख्वाहिश इंसानों को ही नहीं बल्कि आसमान में उड़ने वाले परिंदों को भी होती है. तिनका तिनका जोड़कर अपना घरोंदा बनाने वाले परिंदे दिन ब दिन घटते जा रहे है. कारण उन्हें अपना घरोंदा बनाने के लिए अब न तो तिनके मिलते है और न ही पेड़ पर कानपुर शहर में एक ऐसा इंसान भी है जिसने बेघर होते इन परिंदों के लिए आशियाना बनाने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी.  वो दस सालों में हजारों परिंदों को आशियाना दे चुके है वही विलुप्त होती गौरैया जैसी सपेसीस को भी बचाया है. उनकी पोपुलारिटी देश विदेश तक फ़ैल चुकी है. उन्हें लोग घरोंदा वाले अंकल कहकर पुकारते है. आइये मिलते है घरोंदा वाले अंकल से...........


बैंक ऑफ़ बड़ोदा में सीनियर मनेजर रहे सी एल खन्ना क़ि बेटी और बेटे क़ि शादी के बात दोनों दंपत्ति अकेले हो गए. मिस्टर खन्ना के ऑफिस जाने के बात उनकी पत्नी मधु का मन घर पर बने चिड़िया के घोसले से बहलता. वो आती जाती चिड़िया को देखकर खुश हो जाती. खन्ना जी भी ऑफिस से आने के बात चिड़िया क़ि और उसके घोसले क़ि बात करते. चिड़िया के अंडे देने के बात उसके बच्चे निकलने का इंतज़ार होने लगा. लेकिन एक दिन तेज़ हवा के झोंके ने घोसला गिरा दिया और अंडे फूट गए. दोनों पति पत्नी को लगा जैसे उनके किसी परिवार के सदस्य क़ि death हो गयी हो. टूटे अण्डों के आस पास मंडराती चिड़िया क़ि आवाज ने उन्हें परेशान कर दिया. दोनों लोग रात भर चिड़िया क़ि ही बातें करते रहे और पूरी रात सो न सके.
छोड़ दी नौकरी
खन्ना जी दूसरे दिन ऑफिस गए पर उनका मन नहीं लगा. वो सोचते रहे क़ि इस तरह कितने ही चिड़िया के अंडे टूट कर इस तरह बिखर जाते होंगे? क्या करे क़ि वो चिड़िया को बचा सके? उन्होंने नौकरी से वीआरस ले लिया. और घर में लकड़ी का घर बना कर लगाया. उसमे चिड़िया ने अंडे दिए और उसमे से बच्चे निकल कर बड़े होने के बाद खुले आसमान में उड़ गए
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शुरू हुआ सिलसिला.....
इसके बाद शुरू हुआ खन्ना जी का घोसला बनाने का सिलसिला. आज तक वो हजारों परिंदों को आशियाना दे चुके है. शहर में एक दर्ज़न से ज्यादा जगहों पर  उनके बनाये हुए घरोंदे  लगे है. यही नहीं newziland में रहने वाली उनकी बेटी ने यह घरोंदे ले जाकर अपने घर पर लगाये तो कई लोगो ने उससे डिमांड की और देकते ही देखते वहां भी दर्ज़नो क़ि संख्या में घरोंदे लग गए.
खुद का खर्चा देते फ्री
इस  घरोंदे को बनाने के लिए वो बाज़ार से फलों क़ि पेटी बाज़ार से लेकर आते है और दिन भर  घर पर बैठ कर घरोंदा बनाते है. एक घरोंदा बनाने में उनका  पचास रुपए का खर्चा आता है और दिन भर में मात्र एक घरोंदा बनाकर तैयार कर पते है. इसके बाद भी वो लोगों को ये घरोंदे एकदम फ्री में देते है. लोग उन्हें घरोंदे वाले अंकले के नाम से पुकारते है.


कुछ सीखे हम इनसे........
आज के समय में जहाँ एक परिवार के लोग साथ में एक छत के नीचे रहना पसंद नहीं करते. वही खन्ना जी एक घरोंदे में फक्ता और गौरैया चिड़िया एक साथ रहते है. उन्होंने 2001 में यह घोसला बनाया था. तब से आज तक उसमे 38 बार चिड़ियों ने अंडे किये है. इस घरोंदे के नीचे गौरैया तो ऊपर क़ि ओर फक्ता अंडे देती है.

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