शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

खतरें में विदेशी मेहमान


ये वो विदेशी मेहमान है वो दूर देश से खाने की तलाश में उत्तर भारत में आते है. हजारो मील लम्बी दूरी तय करके ये तीन से चार महीने उत्तर बहरत में बिताते है. सालो से यूही आ रहे ये विदेशी मेहमान अब सुरक्षित नहीं.
कानपुर के पास नवाबगंज और एलेंफोरेस्ट जू में आने वाले इन मेहमानों पर शिकारियों की नजर है. फोरेस्ट डिपार्टमेंट की अनदेखी से ये बेचारे बेजुबान पक्षी बेमौत मरे जा रहे है. साइबेरिया व मिडिल ईस्ट एशिया में ठण्ड के दिनों में भरी स्नो फाल से इन्हें वहां खाना नहीं मिलता जिक्ति तलाश में ये यहाँ आते है. कानपुर के पास इटावा में इनका शिकार हो रहा है. यही हाल कानपुर का भी है. इन विदेशी मेहमानों की न तो फोरेस्ट डिपार्टमेंट कोई गिनती करता है और न ही कोई सुरखा के इंतजाम. एक तरफ तो पर्यावरण बचने का डंका पीता जाता है वही दूसरी तरफ लाखो की संख्या में आने वाली ये बिर्ड्स असुरक्षित है.

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