सोमवार, 18 जनवरी 2010

आम आदमी, ख़ास आदमी






भारतीय लोकतंत्र जिसके बड़े बड़े kaside  gadre  जाते है। पूरे विश्व में दावा किया जाता है की यह लोकतंत्र हमारी सुरक्षा के लिए है। लेकिन इस लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने वालो का चेहरा इतना घिनौना हो सकता है। जी हाँ दो जनवरी को कानपुर के पास कापली में हुए ट्रेन हादसे में एक ऐसा ही राजनीती का गन्दा चेहरा सामने आया। प्रयाग राज व गोरखधाम एक्सप्रेस में हुई इस टक्कर में तेरह लोगो की मौत हुई और पचास लोग घायल हुए। इसी प्रयाग राज एक्सप्रेस में भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी भी बैठे थे। घटना की जानकारी होते ही आनन् फानन में उन्हें ट्रेन से उतारकर चंद कदमो की दूरी पर स्थित एक इंजीनियरिंग कॉलेज में ले जाया गया। उन्होंने घटना स्थल तक जाना भी मुनासिब नहीं समझा। इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके नाश्ते के इंतजाम थे। जहाँ एक और चीखें गूँज रही थी वाही नेता जी हंसी के ठहाके लगा रहे थे। आस पास गाँव के लोग तो मदद को आये लेकिन अपने लाबो लश्कर के साथ नेता जी सुरक्षी बैठे रहे। नाश्ते के बाद उन्होंने पूरे कॉलेज का निरिक्षण किया और कॉलेज की एक बिल्डिंग का लोकार्पण भी किया। उन्होंने कॉलेज में लगभग एक घंटा बिताया पर लोगो की चीक पुकार उनके कानो तक नहीं पहुची.

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